Saturday, June 5, 2010

इस नदी की सादगी मत देखिए

कामयाबी सिफ़्र भी , चहार भी।
ज़िन्दगी में जीत भी है , हार भी।।

सैकड़ों फिसले ,गिरे हज़ार भी,
रास्ते दुश्वार भी , हमबार भी।।

मत किसी मुरझाए पौधे को उखाड़
आएगी उस पर कभी बहार भी।।

उम्र जंगल से गुज़रती भेड़ है,
ताक में हैं शेर भी , सियार भी।।

हौसले हांकें ही हैं , हांफे हुए,
जान सहमी भी है , पर , तैयार भी

इस नदी की सादगी मत देखिए
इसमें हैं चढ़ाव भी , उतार भी।।

मुफ़लिसी ‘ज़ाहिद’ अमीरी का ही नाम
क़ैदख़ाने भी है , गर , हिसार भी।।
300510


सिफ़्र-शून्य ; चहार -चार ,चार गुनी ;
चौगुनी ;
दुश्वार- कठिन , मुश्किल ,दुर्गम ;
हमबार -समतल , सुगम ;
हांकें -जानवरों को पकड़ने के लिए आदमियों का शोर ;
हिसार - क़िला ,दुर्ग ;