Saturday, January 1, 2011

इश्क़ की ताज़ा कहानी बन

दोस्तों ! नया साल मुबारक !!

न तू इमदाद बन ,न तरस खा , ना मेहरबानी बन।
न आंसू की ज़ुबां बन , दर्द की ना तर्जुमानी बन।।

न बनना हीर ,लैला ,तू कभी ना सोहणी ,शीरीं ,
अगर सच्चा है दिल तो इश्क़ की ताज़ा कहानी बन।।

कि रो लेने दे सदियों या हज़ारों साल नर्गिस को ,
न झूठी खै़रख़्वाही बन ,न झूठी निगहबानी बन।।

उम्मीदों के यहां पर आसमां गुमनाम होते हैं ,
किसी ख़ामोश कोशिश की कभी ना नातवानी बन।।

यहां नक़ली मुखौटा ओढ़ना तहज़ीब है ‘ज़ाहिद’ ,
तू अपनी सादगी में रह , न झूठी बदगुमानी बन।।
24-25.02.10

इमदाद - सहायता
तर्जुमानी - अनुवादकला ,भाषान्तरण,
ख़ैरख़्वाही - शुभचिंतकत्व ,
नातवानी - क्षीण मनोबल ,हीनताबोध
तहजीब - सभ्यता ,
बदगुमानी - दर्प , अहंकार