tag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post5488022954313695731..comments2023-10-15T06:57:36.041-07:00Comments on meri haseen ghazalein: काश मैं बहती हुई धारा से गागर खींचता ।।kumar zahidhttp://www.blogger.com/profile/16434201158711856377noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-4672647008110968572010-05-05T02:41:30.953-07:002010-05-05T02:41:30.953-07:00डूबते हैं आंख में अरमान इस उम्मीद से ,
कोई तो ‘ज़ाह...डूबते हैं आंख में अरमान इस उम्मीद से ,<br />कोई तो ‘ज़ाहिद’ मिरे बाजू़ को आकर खींचता ।। <br />Aise alfaazon ke liye ek 'wah' chhod aur soojhta nahi!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-83753851070759881402010-04-29T10:48:47.230-07:002010-04-29T10:48:47.230-07:00बाज़ू को आकर खींचता,
चादर खींचता
दोनों मिसरे कमाल ह...बाज़ू को आकर खींचता,<br />चादर खींचता<br />दोनों मिसरे कमाल हैं और शे'र तो और उम्दा बन पड़े हैं।Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-1756232540005866212010-04-05T06:19:59.601-07:002010-04-05T06:19:59.601-07:00इस कदर है अपने ढंकने की ज़माने को फिक़र ,
नींद में भ...इस कदर है अपने ढंकने की ज़माने को फिक़र ,<br />नींद में भी ,जो है अपना , वो ही चादर खींचता।।<br /><br />ग़ज़ल बहुत सुन्दर है पर ये शेर मुझे बहुत ही अच्छा लगा .... बेहतरीन लिखा है आपने !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-17923440619361600422010-04-03T09:22:26.744-07:002010-04-03T09:22:26.744-07:00Kumar Sahab
Is behtariin ghazal ke liye dheron da...Kumar Sahab<br /><br />Is behtariin ghazal ke liye dheron daad kabool karen.<br /><br />Neerajनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-56960145848095741142010-03-31T06:16:03.567-07:002010-03-31T06:16:03.567-07:00ग़ज़ल में भाव बहुत ही असरदार हैं
मौज़ू खुद ब खुद ...ग़ज़ल में भाव बहुत ही असरदार हैं <br />मौज़ू खुद ब खुद खींचता है <br />बधाईdaanishhttps://www.blogger.com/profile/15771816049026571278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-19583995352558220542010-03-31T03:28:58.121-07:002010-03-31T03:28:58.121-07:00बहुत ताज़गी और नया पन लिए हैं आपके शेर .... बहुत ल...बहुत ताज़गी और नया पन लिए हैं आपके शेर .... बहुत लाजवाब ग़ज़ल और खूबसूरत शेर ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-48201412547635981782010-03-30T21:48:55.523-07:002010-03-30T21:48:55.523-07:00bahut umda sher.......sacchaee ko mukhrit karate h...bahut umda sher.......sacchaee ko mukhrit karate hue.....<br />mere blog par aana accha laga.....shukria.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-51698225299151675522010-03-30T09:10:23.408-07:002010-03-30T09:10:23.408-07:00हर कुएं सूने दिखे यां हर नदी सूखी मिली ,
काश मैं ब...हर कुएं सूने दिखे यां हर नदी सूखी मिली ,<br />काश मैं बहती हुई धारा से गागर खींचता ।।<br />waahरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-44846833485163723992010-03-22T02:47:28.313-07:002010-03-22T02:47:28.313-07:00लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,
जैसे चार...लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,<br />जैसे चारा मछली को पानी के बाहर खींचता ।।<br /><br />bahut khubsurat racha haiCS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-22195024647117859222010-03-19T20:38:18.158-07:002010-03-19T20:38:18.158-07:00कितनी कितनी दूर की नदियों को सागर खींचता ।।
रूप ,ध...कितनी कितनी दूर की नदियों को सागर खींचता ।।<br />रूप ,धन ,वैभव नहीं ,सबको ही आदर खींचता ।।<br />वाह ज़ाहिद साहब ,बेहद सच्ची बात कही<br /><br />हर कुएं सूने दिखे यां हर नदी सूखी मिली ,<br />काश मैं बहती हुई धारा से गागर खींचता ।।<br /><br />डूबते हैं आंख में अरमान इस उम्मीद से ,<br />कोई तो ‘ज़ाहिद’ मिरे बाजू़ को आकर खींचता ।। <br /><br />बहुत उम्दाइस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-65871922283176035122010-03-19T17:59:43.184-07:002010-03-19T17:59:43.184-07:00लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,
जैसे चारा म...लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,<br />जैसे चारा मछली को पानी के बाहर खींचता ।।<br /><br />इस कदर है अपने ढंकने की ज़माने को फिक़र ,<br />नींद में भी ,जो है अपना , वो ही चादर खींचता।।<br /><br /><br />शब्द आकर्षित करते हैं और आकर्शक षब्दों का जादू चल ही जाता है। ठगने और फांसने फंसाने में माहिर होते है लफ्ज़ इसीलिए शब्द बना लफ्फाज़ी.....वाह आच्छा परिकल्पन..<br />दुसरा शेर तो ..सचमुच क्या कहें?Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-52709394318436767372010-03-18T21:36:08.049-07:002010-03-18T21:36:08.049-07:00लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,
जैसे चारा म...लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,<br />जैसे चारा मछली को पानी के बाहर खींचता ।<br /><br />कुछ अलग सा .....पर चारा मछली को फांस कर खींचता है .....<br /><br />डूबते हैं आंख में अरमान इस उम्मीद से ,<br />कोई तो ‘ज़ाहिद’ मिरे बाजू़ को आकर खींचता ।। <br /><br />आँखों में तो मोहब्बत का वास होता है ....डूबे रहिये .....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-1657530767683837062010-03-16T09:22:11.970-07:002010-03-16T09:22:11.970-07:00हर कुएं सूने दिखे यां हर नदी सूखी मिली ,
काश मैं ब...हर कुएं सूने दिखे यां हर नदी सूखी मिली ,<br />काश मैं बहती हुई धारा से गागर खींचता.....<br />कुमार ज़ाहिद साहब, <br />कितना गहरा शेर है....वाह<br />ग़ज़ल के सभी शेर अच्छे लगे..शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-47602061934481956262010-03-14T09:29:32.360-07:002010-03-14T09:29:32.360-07:00ऐसे तो हर बात लाजवाब है पर मेरे दिल को सबसे करीब स...ऐसे तो हर बात लाजवाब है पर मेरे दिल को सबसे करीब से जिन बातों ने छुआ है वो <br />इस कदर है अपने ढंकने की ज़माने को फिक़र ,<br />नींद में भी ,जो है अपना , वो ही चादर खींचता।।<br />ये ही है आभाररचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-25226314156900668082010-03-13T22:32:23.939-08:002010-03-13T22:32:23.939-08:00इस कदर है अपने ढंकने की ज़माने को फिक़र ,
नींद में...इस कदर है अपने ढंकने की ज़माने को फिक़र ,<br />नींद में भी ,जो है अपना , वो ही चादर खींचता।।<br /><br />बहुत ही उम्दा रचना ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-53879812366552098112010-03-13T22:12:25.492-08:002010-03-13T22:12:25.492-08:00मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
बस इतना कहूँगा कि मुझे...मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!<br /><br />बस इतना कहूँगा कि मुझे भाव बहुत सुन्दर लगेसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-79308457492657241262010-03-13T22:01:42.160-08:002010-03-13T22:01:42.160-08:00हर कुएं सूने दिखे यां हर नदी सूखी मिली ,
काश मैं ब...हर कुएं सूने दिखे यां हर नदी सूखी मिली ,<br />काश मैं बहती हुई धारा से गागर खींचता ।<br />वाह! वाह!!वाह!!!<br />क्या कह दिया इस शेर में !<br />गज़ब का ख्याल है!<br />ग़ज़ल हर बार की तरह बहुत अच्छी कही है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-80452554428880491422010-03-13T21:53:37.431-08:002010-03-13T21:53:37.431-08:00khoobsurat behad khoobsurat!khoobsurat behad khoobsurat!Parul kananihttps://www.blogger.com/profile/11695549705449812626noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-23234814957934123872010-03-13T21:29:34.301-08:002010-03-13T21:29:34.301-08:00मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
बस इतना कहूँगा कि मुझे...मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!<br /><br />बस इतना कहूँगा कि मुझे भाव बहुत सुन्दर लगे <br /><br />कहीं दिल में उतर गएYashwant Mehta "Yash"https://www.blogger.com/profile/02457881262571716972noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3752668255942015057.post-48713866495958482492010-03-13T20:37:43.057-08:002010-03-13T20:37:43.057-08:00लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,
जैसे चारा म...लफ़्ज़ मेरे हलक़ से यूं शायरी को खींचते ,<br />जैसे चारा मछली को पानी के बाहर खींचता ।।<br /><br />इस कदर है अपने ढंकने की ज़माने को फिक़र ,<br />नींद में भी ,जो है अपना , वो ही चादर खींचता।।<br /><br /><br />wah wah wah behatareen.Yogesh Verma Swapnhttps://www.blogger.com/profile/01456159788604681957noreply@blogger.com