Friday, November 6, 2009

उल्फत की अदा

आप कह लीजिए इसको जो सज़ा कहते हैं।
हम तो अपनों के सितम को भी मज़ा कहते हैं।

तीर जब तन गए तो हंस के खोल दी छाती
कहनेवाले इसे उल्फ़त की अदा कहते हैं।

वो जो कुछ देर अगर देखते हैं इस ज़ानिब
हम उसे इश्क़ की ख़ामोश सदा कहते हैं

ऐसे मौसम में हैं हम जानिबेगुलशन जिसको
चंद संजीदा ज़हन दौरेख़िजां कहते हैं।

हमने तोड़ी है नींद उनके वहम की ताहम
नामवर अहलेअमन हमको बुरा कहते हैं।

इतनी तहजीब है मजहब की यहां पर यारों
चीख सुनते हैं अदब से वो अजां कहते हैं।

शौक से कौन पकड़ता है दामने ‘जाहिद’
जब्र से सब्र से टूटे तो खुदा कहते हैं
नैन.92.93

15 comments:

  1. ऐसे मौसम में हैं हम जानिबेगुलशन जिसको
    चंद संजीदा ज़हन दौरेख़िजां कहते हैं।

    हमने तोड़ी है नींद उनके वहम की ताहम
    नामवर अहलेअमन हमको बुरा कहते हैं।

    इतनी तहजीब है मजहब की यहां पर यारों
    चीख सुनते हैं अदब से वो अजां कहते हैं।

    सादगी में भी आपका हौसला और इंकलाब जिन्दा है,.... बहुत खूब , बेहतरीन...

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  2. वाह जनाब, क्या खूब लिखा है |
    जय हो ...

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  3. आप दे लीजिए चाहे जो सज़ा देते हैं।
    हम तो हर हाल में लोगों को मज़ा देते हैं।

    तीर जब तन गए तो हंस के खोल दी छाती
    कहनेवाले इसे उल्फ़त की अदा कहते हैं।

    Bahut sundar bhai ..Kya bat hai..wah

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  4. bahut khoob janab....aapki ada achhi lagi...

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  5. mubaaraq ho...
    bahut khoob ghazal !

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  6. इतनी तहजीब है मजहब की यहां पर यारों
    चीख सुनते हैं अदब से वो अजां कहते हैं।

    शौक से कौन पकड़ता है दामने ‘जाहिद’
    जब्र से सब्र से टूटे तो खुदा कहते हैं

    बेहतर...ग़ज़ल..

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  7. hmm... kaafi bhoomika baandhi aapne apne mail mein, diwali ki mithai ke taur pe aap jo yeh rachna laaye hain, wo aapki bhoomika par khari nahi utar paa rahi, kyunki ise gazal kehna hi uchit nahi hoga,
    ek gazal ko bahut si kasautiyon pe khara utarna padta hai, khayal acche hone ke bawajood.
    aur aapki rachna ( jise ki gazal ki sangya di ja rahi hai ) gazal nahi hai, basic technicalities se hi kariz kahi jayegi yeh rachna..

    haan ! khayalon ki baat ki jaye to khayal khoobsurat hain.

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  8. रचनाकार दोस्तों !

    अभिवादन !

    आपने जो मेरे इसरार पर गरीबख़ाने की रौनक बढ़ाई उसका शुक्रिया।
    सीखना ,कहना और सीखना यही जिन्दगी है।
    आप निरन्तर मुझे हौसला देते रहें।

    दीपाली सांगवां जी !
    एक विज्ञापन आता है ‘दाग़ अच्छे हैं।’
    आप मेरी बेग़ज़ल के कारण मेरे ब्लाग तक पहुंची इसका तहे दिल से शुक्रिया।
    आप अदब के साथ बेअदबी बर्दास्त नहीं कर सकती इसे जान समझकर राहत मिली। हमारी क्लासिकल वान्ट्स कसौटी पर सही उतरनी चाहिए। जो नहीं जानते उन्हें रास्ता दिखाना
    चाहिए। मुझे खुशी हुई कि आपसे जागरूक लोग हैं अभी । मेरे एक और दोस्त ने मुझे बताया था कि ग़ज़ल में कितने कितने शेर होने चाहिए। मैंने वहां से सीख ली। मैं सीखने की यह ललक हमेशा जगाए रखूंगा और उम्मीद करूंगा आप मेरी रहबरी करें। रदीफ़ और क़ाफ़िये को ज़रा कसौटी पर देखें:

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  9. आप दे लीजिए चाहे जो सज़ा देते हैं।
    हम तो हर हाल में लोगों को मज़ा देते हैं।

    क़ायदे से इसे यह होना था...

    आप कह लीजिए इसको जो सज़ा कहते हैं।
    हम तो अपनों के सितम को भी मज़ा कहते हैं।

    और
    हम सुबह शाम गलीचे गुलाब के बनकर
    प्यार से खेलनेवालों को सदा देते हैं

    इसे यह होना था...

    वो जो कुछ देर अगर देखते हैं इस ज़ानिब
    हम उसे इश्क़ की ख़ामोश सदा कहते हैं

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  10. आप दे लीजिए चाहे जो सज़ा देते हैं।
    हम तो हर हाल में लोगों को मज़ा देते हैं।

    क़ायदे से इसे यह होना था...

    आप कह लीजिए इसको जो सज़ा कहते हैं।
    हम तो अपनों के सितम को भी मज़ा कहते हैं।


    और

    हम सुबह शाम गलीचे गुलाब के बनकर
    प्यार से खेलनेवालों को सदा देते हैं

    इसे यह होना था...

    वो जो कुछ देर अगर देखते हैं इस ज़ानिब
    हम उसे इश्क़ की ख़ामोश सदा कहते हैं

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  11. आप कह लीजिए इसको जो सज़ा कहते हैं।
    हम तो अपनों के सितम को भी मज़ा कहते हैं।

    वाह जी वाह मज़ा लूटिये फिर आप तो ......!!

    तीर जब तन गए तो हंस के खोल दी छाती
    कहनेवाले इसे उल्फ़त की अदा कहते हैं।

    रस्म उल्फत की निभाएं तो ........

    वो जो कुछ देर अगर देखते हैं इस ज़ानिब
    हम उसे इश्क़ की ख़ामोश सदा कहते हैं

    लो जी हम सभी से कह देते हैं आँखें बंद कर देखा जाये ......!!

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  12. आप कह लीजिए इसको जो सज़ा कहते हैं।
    हम तो अपनों के सितम को भी मज़ा कहते हैं।

    वो जो कुछ देर अगर देखते हैं इस ज़ानिब
    हम उसे इश्क़ की ख़ामोश सदा कहते हैं
    बहुत खूब!
    महावीर शर्मा

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  13. हरकीरतजी!
    कितना मज़ा ले रही हैं आप !
    और यह क्या सभी से ऐसा क्यों कह रही है आंखें बंद करने के लिए..... धोक़े से कोई देखे और कोई ग़लतफ़हमी में कुछ देर ख़ुश होले तो क्या हुआ.....

    आदरणीय शर्मा जी प्रणाम !
    आपने विदेश यानी लंदन में रहकर भारत की ख़ुशबू ली और कुछ देर तक यहां हो लिए यह मेरे लिए कितनी बड़ी खुशी हो सकती है , आप समझ सकते हैं। शुक्रिया !

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