Thursday, November 11, 2010

मुहब्बत के बूटे

दोस्तों आदाब! बहुत देर से आने की ग़ुस्ताख़ी मुआफ़ हो..कुछ है बात जो कभी ग़ज़ल में शाया होगी..इस नाच़ीज़ सी ग़ज़ल से शायद कुद संजीदाहाल खुले..


कभी बेवजह मुस्कुराकर तो देखो ।
खुशी के ख़ज़ाने लुटाकर तो देखो ।।

हरी रेशमी सांस की सरजमीं में ,
मुहब्बत के बूटे लगाकर तो देखो ।।

मसीहे मिलेंगे तुम्हें दोस्ती के ,
रकीबों को घर में बुलाकर तो देखो ।।

जवां ज़िन्दगी के तराने मिलेंगे ,
ख़्वाबों की तितली उड़ाकर तो देखो ।।

हमीं हैं , हमीं हैं , हमीं हम हमेशा ,
किताबों से गर्दे हटाकर तो देखा ।।

तुनकती हुई हर खुशी को खुशी से ,
ज़रा खींचकर गुदगुदाकर तो देखो ।।

बनेगी नयी लय सजेगा नया सुर ,
कि‘ज़ाहिद’ की धुन गुनगुनाकर तो देखो ।।
20.10.2010
कुछ दोस्तों के नये नये तकाज़ों के साथ ...कुछ और बातें ...पेश हैं

25 comments:

  1. Jitni samajh aayi utni pasand bhi aayi.. pls urdu shabdo k meaning bhi label me dia karein jis se nasamajh bhi samajh sakein :)

    ReplyDelete
  2. हरी रेशमी सांस की सरजमीं में
    मुहब्बत के बूटे लगाकर तो देखो'

    वाह! वाह! बेहद खूबसूरत शेर!

    तुनकती हुई हर खुशी को खुशी से
    ज़रा खींचकर गुदगुदाकर तो देखो

    बहुत खूब!क्या बात कही है...वाह!

    ReplyDelete
  3. हमीं हैं हमीं हैं हमीं हम हमेशा
    किताबों से गर्दे हटाकर देखो


    बनेगी नयी लय सजेगा नया सुर
    ‘ज़ाहिद’ की धुन गुनगुनाकर तो देखो

    waah bahut khoob .. zahid sahaab ...

    ReplyDelete
  4. बहुत ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल,,...
    हरी रेशमी सांस की सरजमीं में
    मुहब्बत के बूटे लगाकर तो देखो ||
    जाहिद भाई आपका लेखन काफी सराहनीय है | यूँ ही लिखती रहें | मेरे ब्लॉग में इस बार आशा जोगलेकर जी की रचना |
    सुनहरी यादें :-4 ...

    ReplyDelete
  5. हरी रेशमी सांस की सरजमीं में
    मुहब्बत के बूटे लगाकर तो देखो ||

    बनेगी नयी लय सजेगा नया सुर
    ‘ज़ाहिद’ की धुन गुनगुनाकर तो देखो
    सही बात है गुनगुना रहे हैं।
    वाह हर एक शेर लाजवाब।
    बधाई इस गज़ल के लिये।

    ReplyDelete
  6. हरी रेशमी सांस की सरजमीं में
    मुहब्बत के बूटे लगाकर तो देखो
    Harek pankti...har sher lajawaab hai!

    ReplyDelete
  7. बहत खूबसूरत ग़ज़ल. हर एक शेर बेमिसाल. अजी हम तो हर बार पहुँच ही जाते हैं आपकी धुन गुनगुनाने.....

    ReplyDelete
  8. तुनकती हुई हर खुशी को खुशी से
    ज़रा खींचकर गुदगुदाकर तो देखो

    सुभान अल्लाह...बेहतरीन गज़ल...हाँ मिसरों में कहीं कहीं आप तो लफ्ज़ टाइप करना भूल गए हैं...ठीक कर लें...
    सारे अशआर पसंद आये...सभी में ताज़गी है...वाह, दाद कबूल करें.

    नीरज

    ReplyDelete
  9. नीरज भाई ! बहुत बहुत शुक्रिया ..सचमुच कितनी भूल हो गई

    टाइपिंग मिस्टेक ...ओफ्फो

    अभी टाइप करता हूं..

    ReplyDelete
  10. हरी रेशमी सांस की सरजमीं में
    मुहब्बत के बूटे लगाकर तो देखो
    वाह...वाह
    हमीं हैं हमीं हैं हमीं हम हमेशा
    किताबों से गर्दे हटाकर तो देखो
    हासिले-ग़ज़ल शेर.

    तुनकती हुई हर खुशी को खुशी से
    ज़रा खींचकर गुदगुदाकर तो देखो
    बहुत उम्दा....हर शेर.

    ReplyDelete
  11. हमीं हैं हमीं हैं हमीं हम हमेशा
    किताबों से गर्दे हटाकर तो देखो

    वाह बहुत खूबसूरत ग़ज़ल और उम्दा शेर .... मज़ा आ गया ...
    आपको और आपके पूरे परिवार को ईद मुबारक ..

    ReplyDelete
  12. अरे रे रे रे................
    मक्ता में मिसरा सानी बहर से हट गया.
    बाकी ग़ज़ल प्यारी है.
    ऐसे करने पर विचार करें:-

    बनेगी नयी लय सजेगा नया सुर
    कि ज़ाहिद को भी गुनगुनाकर तो देखो

    ReplyDelete
  13. हरी रेशमी सांस की सरजमीं में
    मुहब्बत के बूटे लगाकर तो देखो

    बहुत खूब .....!!
    सांसों में मोहब्बत के बूते ....क्या baat है....!
    .....बहुत sunder .....

    बनेगी नयी लय सजेगा नया सुर
    ‘ज़ाहिद’ की धुन गुनगुनाकर तो देखो

    ओये होए .....!!

    zahid जी matla तो kmaal ka है .....!!

    ReplyDelete
  14. आपकी ग़ज़ल हमेशा ही लुभाती है. आपने बुलाया गुगुनाने को मैं हाजिर हो गई आभार

    ReplyDelete
  15. मसीहे मिलेंगे तुम्हें दोस्ती के ,
    रकीबों को घर में बुलाकर तो देखो ।।

    बढ़िया ग़ज़ल..बधाई हो

    ReplyDelete
  16. bahut sunder gajal hai aapki

    blog mai aane ko aabhar kripya yuhi margdarshan karte rahe
    dhanyvad

    ReplyDelete
  17. कभी बेवजह मुस्कुराकर तो देखो ।
    खुशी के ख़ज़ाने लुटाकर तो देखो ।। behd hsin hain aapki ghjale !

    ReplyDelete
  18. सच में गुनगुनाने वाली गजल।

    ReplyDelete
  19. कभी बेवजह मुस्कुराकर तो देखो ।
    खुशी के ख़ज़ाने लुटाकर तो देखो ।।
    क्या पंक्तियाँ हैं ..एक दम दिल को छूने वाली ........शुभकामनायें
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

    ReplyDelete
  20. तुनकती हुई हर खुशी को खुशी से ,
    ज़रा खींचकर गुदगुदाकर तो देखो ।।
    बहुत सुन्दर.

    ReplyDelete
  21. एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई।

    ReplyDelete
  22. एक सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई...भाई!

    ReplyDelete
  23. तुनकती हुई हर खुशी को खुशी से ,
    ज़रा खींचकर गुदगुदाकर तो देखो ।।

    waah waah

    ReplyDelete