Sunday, May 8, 2011

मदर्स डे पर

आपकी बस्ती में घर मेरा न गुमनाम रहे।
कोई रिश्ता न सही पर दुआ सलाम रहे।।

शफ़क़ के तौर तरीक़ों के न रहें का़यल
हमारी निस्बतों में चांद सुब्ह ओ शाम रहे।।

इसी तरह से रहेगा जहां में जोश ओ जुनूं
हुनर किसी का रहे , आपका ईनाम रहे ।।

नज़र में चंद चुनिन्दा न साहबान रहें ,
मुसीबतों में फ़िक्र बस्ती ए तमाम रहे।।

ये क्या कि बैठा रहे कोठरी में रखवाला ,
घरों में लूट रहे, जुल्म ओ कोहराम रहे।।

यही दुआ है जहां यह रहे , रहे न रहे ,
खूबसूरत मगर आगाज़ ओ अन्जाम रहे।।

गर्ज़ ओ वहशत से भरी जिनदगी के जंगल में,
मां की ममता का सर पे साया सरेआम रहे।

10 comments:

  1. यही दुआ है जहां यह रहे , रहे न रहे ,
    खूबसूरत मगर आगाज़ ओ अन्जाम रहे।।

    गर्ज़ ओ वहशत से भरी जिनदगी के जंगल में,
    मां की ममता का सर पे साया सरेआम रहे।
    Aankh nam ho aayee...

    ReplyDelete
  2. नज़र में चंद चुनिन्दा न साहबान रहें ,
    मुसीबतों में फ़िक्र बस्ती ए तमाम रहे।।

    बहुत लाजबाब शेर कहे है आपने, हर बार की तरह. बहुत शुक्रिया.

    ReplyDelete
  3. गर्ज़ ओ वहशत से भरी जिनदगी के जंगल में,
    मां की ममता का सर पे साया सरेआम रहे।

    बहुत खूब लाइने लिख दी हैं आपने...

    क्या सीरत थी, क्या सूरत थी..
    पाँव छुए और बात बनी, अम्मा एक मुहूर्त थी...

    happy mothers day...

    ReplyDelete
  4. गर्ज़ ओ वहशत से भरी जिनदगी के जंगल में,
    मां की ममता का सर पे साया सरेआम रहे...

    बहुत खूब ... मान का साया रहे तो और क्या चाहिए ... लाजवाब ग़ज़ल .....

    ReplyDelete
  5. बहुत उम्दा ग़ज़ल है, मुबारकबाद.

    ReplyDelete
  6. कोई रिश्ता न सही पर दुआ सलाम रहे।।

    क्या सलीका और सामाजिक दृश्टि है वाह!!



    शफ़क़ के तौर तरीक़ों के न रहें का़यल
    हमारी निस्बतों में चांद सुब्ह ओ शाम रहे।।

    प्राकृतिक नियम अपनी जगह हैं , प्रकृति को अपने जीवन में अपने ढंग से उपयोग का एक अद्भुत दृश्टिकोण..बधाई

    नज़र में चंद चुनिन्दा न साहबान रहें ,
    मुसीबतों में फ़िक्र बस्ती ए तमाम रहे।।

    वाह!! वाह!! वाह!!


    यूं तो पूरी गजल के मिजाज में ताजगी और गंभीर रचनाधर्मिता है।
    पर यह शेर बहुत अच्छा तो है किन्तु इसे कुछ यूं मैं पढ़ना चाहा हूं..

    गर्ज़ ओ वहशत से भरे जिन्दगी के सहरा में ,
    मां की ममता का सर पै साया सरेआम रहे।

    ReplyDelete
  7. आपकी बस्ती में घर मेरा न गुमनाम रहे।
    कोई रिश्ता न सही पर दुआ सलाम रहे।।
    वाह!

    ReplyDelete