Tuesday, January 3, 2012

मत रख कंधों की आस।



एक झटके में नया साल आ गया। पिछले साल ने अभी अपनी अस्तव्यस्त दूकान उठाई भी नहीं कि अपनी दूकान लेकर नया साल आ गया...आओ स्वागत है साल 2012


सभी दोस्तों और अदीब साहबानों को नया साल मुबारक।  
 कुछ इस तरह




जिसकी आंखों में अपनापन अधरों सुखद सुहास।
दुनिया भर में सबसे ज्यादा दौलत उसके पास।

सिक्कों की खन खन में उसको नींद नहीं आती,
टकसालों के निकट बनाया जिसने भी आवासA

रोज़ जगाने चल पड़ता है भोर में बस्ती को,
इक दिन कट जायेगा मुर्ग़ा, उसे नहीं आभास।

खुश होता है लपट झपटकर, खीसें दिखलाता,
कूद फांद डाली डाली की बन्दर का अभ्यास।

भले मौसमी बादल से सूरज छिप जाता है,
लेकिन क्या मर जाता इससे पीला पड़ा प्रकाश?

खोल रहा है नया द्वार वह बंद कोठरी में,
हुनरमंद के हाथ हथौड़ा पकड़ाता संत्रास।

तू कपूर की काया कर ले, कस्तूरी का मन,
‘ज़ाहिद’ मुर्दा लोगों से मत रख कंधो की आस।


मंगलवार 3.1.12

13 comments:

  1. भले मौसमी बादल से सूरज छिप जाता है,
    लेकिन क्या मर जाता इससे पीला पड़ा प्रकाश?

    खोल रहा है नया द्वार वह बंद कोठरी में,
    हुनरमंद के हाथ हथौड़ा पकड़ाता संत्रास।
    Bahut khoob!
    Naya saal mubarak ho!

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  2. बहुत खूब....
    नया साल मुबारक हो आपको.

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  3. बढ़िया है ग़ज़ल.
    सभी शेर बड़ी सादगी और साफ़गोई से कहे गए हैं.

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  4. वाह ...बहुत खूब

    कल 11/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्‍वागत है, उम्र भर इस सोच में थे हम ... !

    धन्यवाद!

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  5. बहुत ही बढ़िया सर!


    सादर

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  6. गज़ब! मज़ा आ गया.. एक ताजापन ले कर नए साल की ग़ज़ल..

    प्यार में फर्क पर अपने विचार ज़रूर दें...

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  7. रोज़ जगाने चल पड़ता है भोर में बस्ती को,
    इक दिन कट जायेगा मुर्ग़ा, उसे नहीं आभास।
    wah bahut khoob :)
    Welcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली

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  8. रोज़ जगाने चल पड़ता है भोर में बस्ती को,
    इक दिन कट जायेगा मुर्ग़ा, उसे नहीं आभास।
    ....
    ज़ाहिद जी ... हाँ उसे जरा भी आभास नहीं होता .. जगाना उसका काम है वो कर रहा है ....काटने से अनजान...हर पंक्ति लाजबाब !

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  9. रोज़ जगाने चल पड़ता है भोर में बस्ती को,
    इक दिन कट जायेगा मुर्ग़ा, उसे नहीं आभास।
    gahan aur bahut sunder shayari.lajawab...

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  10. बहुत खूबसूरत.... वाह!

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  11. अच्छे शेर
    अपने आप को खुद ही पढवा लेते हैं
    खयालात की खूबसूरती प्रभावित कर रही है
    बधाई .

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  12. भले मौसमी बादल से सूरज छिप जाता है,
    लेकिन क्या मर जाता इससे पीला पड़ा प्रकाश?

    optimisticism. Nice

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  13. बहुत खुबसूरत गज़ल ||
    हर शेर लाजवाब !!

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