Tuesday, October 27, 2009

अपने होने की निशानी

फिर वो तहरीर पुरानी देखी ।
ठहरी नब्जों में रवानी देखी ।।

फिर बहुत देर आइना देखा ,
अपने होने की निशानी देखी ।।

आज आंखों में जैसे धूप खिली ,
क्या कोई चीज़ सुहानी देखी ।।

दिल में सांपों के बसेरे देखे ,
आह में रात की रानी देखी ।।

सादापन रोज़ बावला देखा ,
साज़िशें सदियों सयानी देखी।

रात का रंग दमकते देखा ,
झूमती गाती जवानी देखी ।।

आज ’ज़ाहिद’ के जब्त के भीतर ,
पीर की गश्तेज़हानी देखी ।।

17.0805.

5 comments:

  1. फिर बहुत देर आइना देखा ,
    अपने होने की निशानी देखी ।।

    वाह....वाह....सुभानाल्लाह........!!

    दिल में सांपों के बसेरे देखे ,
    आह में रात की रानी देखी ।।

    किस किस की तारीफ करूँ जाहिद जी .....

    तेरे हर she'r की rvaani dekhi
    gazal kahti इक kahaani dekhi ....!!

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  2. Ghazalnawazi ka naya andaz khubsort hai
    Laykari thodi aur miladein to bakhuda maza aa jaye

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  3. आप सभी की राय मेरे लिए दिशा निर्देश हैं उनका यथासंभव पालन करने का प्रयास करूंगा।
    प्रोत्साहन के धन्यवाद

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  4. फिर वो तहरीर पुरानी देखी ।
    ठहरी नब्जों में रवानी देखी ।।

    फिर बहुत देर आइना देखा ,
    अपने होने की निशानी देखी ।।

    BADHIYA

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