फिर वो तहरीर पुरानी देखी ।
ठहरी नब्जों में रवानी देखी ।।
फिर बहुत देर आइना देखा ,
अपने होने की निशानी देखी ।।
आज आंखों में जैसे धूप खिली ,
क्या कोई चीज़ सुहानी देखी ।।
दिल में सांपों के बसेरे देखे ,
आह में रात की रानी देखी ।।
सादापन रोज़ बावला देखा ,
साज़िशें सदियों सयानी देखी।
रात का रंग दमकते देखा ,
झूमती गाती जवानी देखी ।।
आज ’ज़ाहिद’ के जब्त के भीतर ,
पीर की गश्तेज़हानी देखी ।।
17.0805.
Tuesday, October 27, 2009
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bahut khoob.
ReplyDeleteफिर बहुत देर आइना देखा ,
ReplyDeleteअपने होने की निशानी देखी ।।
वाह....वाह....सुभानाल्लाह........!!
दिल में सांपों के बसेरे देखे ,
आह में रात की रानी देखी ।।
किस किस की तारीफ करूँ जाहिद जी .....
तेरे हर she'r की rvaani dekhi
gazal kahti इक kahaani dekhi ....!!
Ghazalnawazi ka naya andaz khubsort hai
ReplyDeleteLaykari thodi aur miladein to bakhuda maza aa jaye
आप सभी की राय मेरे लिए दिशा निर्देश हैं उनका यथासंभव पालन करने का प्रयास करूंगा।
ReplyDeleteप्रोत्साहन के धन्यवाद
फिर वो तहरीर पुरानी देखी ।
ReplyDeleteठहरी नब्जों में रवानी देखी ।।
फिर बहुत देर आइना देखा ,
अपने होने की निशानी देखी ।।
BADHIYA