ख्वाब तुम देखो कि मैं नभ पर चमककर छाउंगा ।।
प्यार की बदली बनूंगा , आंख में भर जाउंगा ।।
इतने स्थापित हो तुम कि चाहकर ना हिल सको ,
मैं हवा हूं सांस भी खींचो तो खिंचकर आउंगा ।।
मैं तली में याद के टुकड़े की मानिंद हूं पड़ा ,
तुम खंगालोगे तो मैं उठकर सतह पर आउंगा ।।
इम्तिहां की राह में दीवार ना पैदा करो ,
चाह हो तो मैं हिमालय से पिघलकर आउंगा ।।
हज़ से लौटा हूं अभी ‘जाहिद’ अभी प्याला न दो ,
चार छः दिन ज़्यादा से ज़्यादा सबर कर पाउंगा ।।
4.3.10/11.03.10
Wednesday, April 28, 2010
Tuesday, April 6, 2010
शख्स की तलाश
ऐलानेख़ासोआम बहुत खास दोस्तों !!
कोई नहीं फटकता आसपास दोस्तों !!
अफ़सर ,नुमाइंदे ,इज़ारेदार ,तनखि़ये ,
सबके अलग अलग हैं यां लिबास दोस्तों !!
दिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
सबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
कानून क़त्लगाह है, इंसाफ़ है चारा,
संसद का तामझाम है बकवास दोस्तों !!
जिस शख्स की तलाश में ‘ज़ाहिद’ है दरबदर ,
उसको नहीं इस बात का अहसास दोस्तों !!
17.11.09/100310/11.03.10
ऐलानेख़ासोआम: विशेष और साधारणों के लिए घोषणा
कत्लगाह: बूचड़खाना ,
चारा: लोभ ,प्रलोभन ,
कोई नहीं फटकता आसपास दोस्तों !!
अफ़सर ,नुमाइंदे ,इज़ारेदार ,तनखि़ये ,
सबके अलग अलग हैं यां लिबास दोस्तों !!
दिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
सबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
कानून क़त्लगाह है, इंसाफ़ है चारा,
संसद का तामझाम है बकवास दोस्तों !!
जिस शख्स की तलाश में ‘ज़ाहिद’ है दरबदर ,
उसको नहीं इस बात का अहसास दोस्तों !!
17.11.09/100310/11.03.10
ऐलानेख़ासोआम: विशेष और साधारणों के लिए घोषणा
कत्लगाह: बूचड़खाना ,
चारा: लोभ ,प्रलोभन ,
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