ऐलानेख़ासोआम बहुत खास दोस्तों !!
कोई नहीं फटकता आसपास दोस्तों !!
अफ़सर ,नुमाइंदे ,इज़ारेदार ,तनखि़ये ,
सबके अलग अलग हैं यां लिबास दोस्तों !!
दिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
सबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
कानून क़त्लगाह है, इंसाफ़ है चारा,
संसद का तामझाम है बकवास दोस्तों !!
जिस शख्स की तलाश में ‘ज़ाहिद’ है दरबदर ,
उसको नहीं इस बात का अहसास दोस्तों !!
17.11.09/100310/11.03.10
ऐलानेख़ासोआम: विशेष और साधारणों के लिए घोषणा
कत्लगाह: बूचड़खाना ,
चारा: लोभ ,प्रलोभन ,
Tuesday, April 6, 2010
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दिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
ReplyDeleteसबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
***वाह! वाह!बहुत सटीक बात कहीं हैं.
आज तेवर तीखे नज़र आ रहे हैं ग़ज़ल में.
कानून क़त्लगााह है, इंसाफ़ है चारा,
ReplyDeleteसंसद का तामझाम है बकवास दोस्तों !!
BEHAD SUNDAR
BAHUT ACHA LAGA PAD KAR AAP
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
दिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
ReplyDeleteसबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
katu sataya uker diya aapne
जाहिद साहब !
ReplyDeleteकटु यथार्थ का चित्र उकेर दिया है आपने।
गजल यूं तो सारी ही बेहतरीन है
ये शेर वजनदार हैं।
दिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
सबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
जिस शख्स की तलाश में ‘ज़ाहिद’ है दरबदर ,
उसको नहीं इस बात का अहसास दोस्तों !!
बहुत लाजवाब,हर इक बात बहुत गहरी,संवेदनशील, हृदयस्पर्शी. इतनी बेहतरीन प्रस्तुती के लिए आभार
ReplyDeleteदिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
ReplyDeleteसबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
bza farmaya Zahid ji ......!!
कानून क़त्लगाह है, इंसाफ़ है चारा,
संसद का तामझाम है बकवास दोस्तों !!
वजनदार .....!!
जिस शख्स की तलाश में ‘ज़ाहिद’ है दरबदर ,
उसको नहीं इस बात का अहसास दोस्तों !!
बेहतरीन प्रस्तुती ....!!
shukria zahid sahab ,
ReplyDeleteaapki gazalein to waqayi kafi haseen hain.
इनायत, करम ,हौसलाअफ़जाई और दिलजोई का आभार , शुक्रिया
ReplyDeleteदिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
ReplyDeleteसबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
सच्चाई बयान करता हुआ बेहद ख़ूबसूरत शेर
वाह जी ! बढ़िया ग़ज़ल है !
ReplyDeleteZahid sir ji
ReplyDeleteजिस शख्स की तलाश में ‘ज़ाहिद’ है दरबदर ,
उसको नहीं इस बात का अहसास दोस्तों !!
gar wo shakhs yun anjaan hi hai to kya hamara farz nahi ki use rubaroo karaen jindagi se..
khud ke sath sanjh me pee gaee ek pyali chay bhi kaise ratjaga kara deti hai na..
aji hamne apne andar najarband kar rakha hai use..aage kya kahun mai?
mai aap aur ye comment padhne wale sabhi samaj me samajhdaar hi mane jate hain na..
aapki rachnaen hamre mohabbat ki haqdaar hain..
fir se wapas hu blog par...
dekhti hun kya ho pata hai..
urdu ke alfazon par pakad abhi kamjor hai meri..baaki aapki panktiyaan lajawab :)
ReplyDeletekya khoob likhte hain aap.....muh se nikali bas yahi baat doston
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकानून क़त्लगाह हो इंसाफ़ हो अज़ाब
ReplyDeleteअब आपसे उम्मीदे-सुख़न बढ़ गयी जनाब
क्या ख़ूब है ये आपका अन्दाज़े-बयाँ भी
रिश्ते दरे-जज़्बात खड़े मिलते लाजवाब
कहते रहें ग़ज़ल, यही अपनी है गुज़ारिश
ख़ुश आप रहें, हमको भी घेरे रहें तराब
अन्दाज़ हैं अच्छे, मगर नीयत-नज़र का क्या
कहते हैं कि ईमान भी हो जाता है ख़राब
जब होशो-ख़िरद पर नशा चढ़ जाता है "उसका"
रहता है मस्त बिन पिए - ग़ालिब छुटी शराब
आपकी गज़लकारी पे निसार …
जिस शख्स की तलाश में ‘ज़ाहिद’ है दरबदर ,
ReplyDeleteउसको नहीं इस बात का अहसास दोस्तों !!
बड़ी प्यारी पंक्तियाँ है ये.
दर्द का बहुत बड़ा सबब है भी ये एक
जिसके लिए दर्देदिल दिल से लगाये बैठे
उसी को उस दर्द का अहसास ना हो
Are wah! Harek pankti apne aapme mukammal aur nihayat sundar...aisi rachnape mujhe comment karnahi mushkil lagta hai..
ReplyDeleteदिल के नहीं दिमाग़ के रिश्तें हैं आजकल ,
ReplyDeleteसबकी टिकी है फ़ायदों में सांस दोस्तों !!
aaj ki sachhai..
कानून क़त्लगाह है, इंसाफ़ है चारा,
संसद का तामझाम है बकवास दोस्तों !!
waah !! bahut umda , bus padhta hi raha , ek baar , 2 baar .....baar - baar ....