कामयाबी सिफ़्र भी , चहार भी।
ज़िन्दगी में जीत भी है , हार भी।।
सैकड़ों फिसले ,गिरे हज़ार भी,
रास्ते दुश्वार भी , हमबार भी।।
मत किसी मुरझाए पौधे को उखाड़
आएगी उस पर कभी बहार भी।।
उम्र जंगल से गुज़रती भेड़ है,
ताक में हैं शेर भी , सियार भी।।
हौसले हांकें ही हैं , हांफे हुए,
जान सहमी भी है , पर , तैयार भी
इस नदी की सादगी मत देखिए
इसमें हैं चढ़ाव भी , उतार भी।।
मुफ़लिसी ‘ज़ाहिद’ अमीरी का ही नाम
क़ैदख़ाने भी है , गर , हिसार भी।।
300510
सिफ़्र-शून्य ; चहार -चार ,चार गुनी ;
चौगुनी ;
दुश्वार- कठिन , मुश्किल ,दुर्गम ;
हमबार -समतल , सुगम ;
हांकें -जानवरों को पकड़ने के लिए आदमियों का शोर ;
हिसार - क़िला ,दुर्ग ;
Saturday, June 5, 2010
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बहुत खूब!
ReplyDeleteमत किसी मुरझाए पौधे को उखाड़
ReplyDeleteआएगी उस पर कभी बहार भी।।
Log to yahan hare paudhe ,nayi zindagiyan barbaad kar dete hain!
Rachna behad sundar hai..
गज़ब की जादूगरी शब्दों से !!!!!!!!!!!!!वाह.. वाह वाह अब और क्या कहूँ.हमेशा की तरह लाजवाब
ReplyDeleteसैकड़ों फिसले ,गिरे हज़ार भी,
ReplyDeleteरास्ते दुश्वार भी , हमबार भी।।
मत किसी मुरझाए पौधे को उखाड़
आएगी उस पर कभी बहार भी।।
ज़ाहिद साहब, ग़ज़ल का हर शेर बहुत खूबसूरत है
और ये दो शेर तो जान हैं....
उम्र जंगल से गुज़रती भेड़ है,
ReplyDeleteताक में हैं शेर भी , सियार भी।।
ye sher behad umda laga sahab
hamesha si ujli si nazm!
ReplyDeletemain aapse udru bhi sikh rahi hoon :)
इस नदी की सादगी मत देखिए
ReplyDeleteइसमें हैं चढ़ाव भी , उतार भी।।
बेहद उम्दा.
उम्र जंगल से गुज़रती भेड़ है,
ReplyDeleteताक में हैं शेर भी , सियार भी
वाह वाह जनाब वाह...क्या शेर कहा है...सुभान अल्लाह...वाह...बेहतरीन ग़ज़ल..
नीरज
हौसले हांकें ही हैं , हांफे हुए,
ReplyDeleteजान सहमी भी है , पर , तैयार भी
यूं तो हर शेर लाजवाब..पर इस शेर में अद्भुत जीवन दर्शन...हम अपने ही अन्दर के आत्मविश्वास से अपने ही पुरुषार्थ को बार बार हांका लगाया करते हैं कि चल, बस चल मंजिल की तरफ..क्या हुआ अगर ...
सैकड़ों फिसले ,गिरे हज़ार भी,
रास्ते दुश्वार भी , हमबार भी।।
और यह तो अभिनव चित्रण है---
उम्र जंगल से गुज़रती भेड़ है,
ताक में हैं शेर भी , सियार भी।।
ग़ज़ल का हर शेर बहुत खूबसूरत है
ReplyDeleteहौसले हांकें ही हैं , हांफे हुए,
जान सहमी भी है , पर , तैयार भी
क्या करें जिन्दगी मजबूरी भी है हौसले-यार भी ...
मत किसी मुरझाए पौधे को उखाड़
ReplyDeleteआएगी उस पर कभी बहार भी।।
यह तो बहुत ही खूबसूरत शेर है..
कहता है उम्मीद कभी नहीं छूटे..बहुत खूब!
--उम्दा ग़ज़ल !
उम्मीद कभी नहीं छूटे..बहुत खूब!
ReplyDelete--उम्दा ग़ज़ल !
ज़ाहिद साहब, ग़ज़ल का हर शेर बहुत खूबसूरत है
ReplyDeleteकामयाबी सिफ़र भी , चहार भी।
ReplyDeleteज़िन्दगी में जीत भी है , हार भी।।
A bare truth..
मत किसी मुरझाए पौधे को उखाड़
आएगी उस पर कभी बहार भी।।
हौसले हांकें ही हैं , हांफे हुए,
जान सहमी भी है , पर , तैयार भी
इस नदी की सादगी मत देखिए
इसमें हैं चढ़ाव भी , उतार भी।।
Optimistic lines..
उम्र जंगल से गुज़रती भेड़ है,
ताक में हैं शेर भी , सियार भी।।
Furious truth...
उम्र जंगल से गुज़रती भेड़ है,
ReplyDeleteताक में हैं शेर भी , सियार भी।।
वाह..बहुत खूबसूरत ग़ज़ल....
मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रिया
सैकड़ों फिसले ,गिरे हज़ार भी,
ReplyDeleteरास्ते दुश्वार भी , हमबार भी।।
...बहुत खूब कही जाहिद साहब आपने ग़ज़ल.
बहुत बहुत शुक्रिया ,
ReplyDeleteआपकी ग़ज़लें वाक़ई बहुत हसीन हैं .
मत किसी मुरझाए पौधे को उखाड़
ReplyDeleteआएगी उस पर कभी बहार भी।।
बहुत खूब ...
zahid sir..
ReplyDeletebahut dinon bad blog visit karna shuru kiya hai...par bich bich me aakar aapki aur harkirat ji ki rachnaen padh hi jati hun.. han comment nahin de pati..yun bhi aaplogon ko comment dekar hum khud ko hi complement dete hue lagte hain..
gazal me khubsurati bahut dekhi... nayapan bhi dekha aur bahar bhi... lekin aapki gazalon me jaan hai sahab... ye haseen kamsin najuk masum komlangi navyaunaen nahin hai balki jangal me madmast ghumata sinh shawak hai... jawani josh aur jajbat se bharpur hai aapki haseen gajalen...
hum bhi sikhna chahte hai ye hunar..aap batayen ki bahtarin bhasha ke liye hum kanha se shuruaat karen...
aise hi likhte rahen ki mulk ki urdu-hindi haseen bani rahe..
Pranjal, aapki bhasha main padhata hoon.mere khyal se dil se nikalnewali har bat apni bhasha khud tarash leti hai. Ghadhi hui bhasha dimagh ko asar karti hai aur dil ki dil ko....
ReplyDeletePranjal, aapki bhasha main padhata hoon.mere khyal se dil se nikalnewali har bat apni bhasha khud tarash leti hai. Ghadhi hui bhasha dimagh ko asar karti hai aur dil ki dil ko....
ReplyDeletebahot sundar.
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