दोस्तों ! नया साल मुबारक !!
न तू इमदाद बन ,न तरस खा , ना मेहरबानी बन।
न आंसू की ज़ुबां बन , दर्द की ना तर्जुमानी बन।।
न बनना हीर ,लैला ,तू कभी ना सोहणी ,शीरीं ,
अगर सच्चा है दिल तो इश्क़ की ताज़ा कहानी बन।।
कि रो लेने दे सदियों या हज़ारों साल नर्गिस को ,
न झूठी खै़रख़्वाही बन ,न झूठी निगहबानी बन।।
उम्मीदों के यहां पर आसमां गुमनाम होते हैं ,
किसी ख़ामोश कोशिश की कभी ना नातवानी बन।।
यहां नक़ली मुखौटा ओढ़ना तहज़ीब है ‘ज़ाहिद’ ,
तू अपनी सादगी में रह , न झूठी बदगुमानी बन।।
24-25.02.10
इमदाद - सहायता
तर्जुमानी - अनुवादकला ,भाषान्तरण,
ख़ैरख़्वाही - शुभचिंतकत्व ,
नातवानी - क्षीण मनोबल ,हीनताबोध
तहजीब - सभ्यता ,
बदगुमानी - दर्प , अहंकार
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उम्मीदों के यहां पर आसमां गुमनाम होते हैं ,
ReplyDeleteकिसी ख़ामोश कोशिश की कभी ना नातवानी बन।।
यहां नक़ली मुखौटा ओढ़ना तहज़ीब है ‘ज़ाहिद’ ,
तू अपनी सादगी में रह , न झूठी बदगुमानी बन।।
बहुत ख़ूब !
सादगी पर दो लाइन................
ReplyDeleteसादगी वो अदा है जिसका कोई सानी नहीं है !
सादगी ही इंसा को इंसा की हकीक़त बतलाती है !
सादा जीवन उच्च विचार इंसा का परिचय करवाती है !
सादगी ही इंसा को इंसा के और करीब ले आती है !
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल बधाई दोस्त !
अच्छा कलाम है...
ReplyDeleteनए साल की मुबारकबाद.
वाह , बहुत बढ़िया ग़ज़ल ..
ReplyDeleteनया साल मुबारक हो ..
जय श्री कृष्ण...आपका लेखन वाकई काबिल-ए-तारीफ हैं....नव वर्ष आपके व आपके परिवार जनों, शुभ चिंतकों तथा मित्रों के जीवन को प्रगति पथ पर सफलता का सौपान करायें .....मेरी कविताओ पर टिप्पणी के लिए आपका आभार ...आगे भी इसी प्रकार प्रोत्साहित करते रहिएगा ..!!
ReplyDeleteयहां नक़ली मुखौटा ओढ़ना तहज़ीब है ‘ज़ाहिद’ ,
ReplyDeleteतू अपनी सादगी में रह , न झूठी बदगुमानी बन।।
बहुत बढ़िया ग़ज़ल. हर शेर इक गहरी बात लिए हुए है.
उमदा. बहुत बढिया
ReplyDeleteaane mein deri hui..par nav varsh mein ek behtareen nazm..naye hosle se bhari..!
ReplyDeleteआपका आप सबका जो लगातार मुझे अपनी कीमती राय ओर मशविरों से नवाज रहे , शुक्रिया।
ReplyDeleteदोस्तो! कुछ जाती वजहात आपके नजदीक नहीं आने दे रही है...न ,न , मेरा इंतजार न करें , बस चलते रहें ...इंशां अल्ला किसी न किसी मोड़ पर मुलाकात होगी, ..बस यह उम्मीद बनी रहने दें. आजकल मैं कहीं नहीं पहुंच पा रहा हूं...और लोग नतीज़ातन भूलते जा रहे हैं ..आपका शुक्रिया कि आए
I really enjoyed reading the posts on your blog.
ReplyDeleteBehtreen Ghazal,
ReplyDeleteHowever,apne urdu ke alp gyaan se poochna chahunga:
I don't think ki 'Naatvani' koi shabd hota hai 'Naatavan (without ee)' beshak hota hai. ;-)
आदरणीय दर्पण जी, आपकी टिप्पणी का शुक्रिया।
ReplyDeleteआपका यह शक कि नातवानी लफ्ज़ नहीं होता आपकी सतर्कता का द्योतक है। धन्यवाद।
कृपया , जनाब मुहम्मद मुस्तफ़ा खां ‘मद्दाह’ साहब के संकलन ‘उर्दू हिन्दी शब्दकोश’ के पृष्ठ क्रमांक 347 में 'नातुवां' और 'नातुवानी' शब्द का मुलाहिजा फ़र्माएं।
मोहतरमा शानी साहिबा का ‘आइनाए ग़ज़ल’ के सफ़ा 95 पर भी ग़ौर फ़र्माएं..
उन्होंने चचा ग़ालिब का यह शेर 'नातवानी' का अर्थ बताते हुए प्रस्तुत किया है ...
उधर वो बदगुमानी है इधर ये 'नातवानी' है ,
न पूछा जाए है उनसे न बोला जाए है हमसे ....
कभी नेकी भी उनके दिल में गर आ जाए है मुझसे
जफ़ाएं करके अपने आप शर्मा जाए है मुझसे।
इसी ग़ज़ल पर ग़ज़ल के दो सशक्त हस्ताक्षर मोहतरमा इस्मत जैदी साहिबा और जनाब शाहिद मिर्जां शाहिद साहब की टीप भी पढें
उम्मीद है आते रहेंगे और बेशक अपने शक के माध्यम से मेरा भी हौसला बुलंद करते रहेंगे।
ummda likha hain
ReplyDeletechk out my blog also
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
"यहां नक़ली मुखौटा ओढ़ना तहज़ीब है ‘ज़ाहिद’ ,
ReplyDeleteतू अपनी सादगी में रह , न झूठी बदगुमानी बन।।"
लाजवाब
कि रो लेने दे सदियों या हज़ारों साल नर्गिस को ,
ReplyDeleteन झूठी खै़रख़्वाही बन ,न झूठी निगहबानी बन।।
Kya baat hai!
न बनना हीर ,लैला ,तू कभी ना सोहणी ,शीरीं ,
ReplyDeleteअगर सच्चा है दिल तो इश्क़ की ताज़ा कहानी बन।।
kitni badi aur khari chunouti dee hai bhai jaan!
vah! vah!! vah !!!
sad hazari vah !!
उम्मीदों के यहां पर आसमां गुमनाम होते हैं ,
किसी ख़ामोश कोशिश की कभी ना नातवानी बन।।
Haan sahi hai,
Koshishein zari rahein-
'Show must go on'
bahut sundar
ReplyDeleteman prassann ho gaya
bahut bahut shubhkaamna