Sunday, February 6, 2011

खूबसूरत हैं रियाया हिरनें

वार छुप छुप के किए जाते हैं
हम शिकारी हैं सच बताते हैं।

हर झपट्टा है पूरी ताक़त का
हम कभी मुफ़्त का ना खाते हैं।

खूबसूरत हैं रियाया हिरनें
भूख में हम ये भूल जाते हैं।

हम नहीं कहते कि डरकर रहिए
कब किसे आंख हम दिखाते हैं।

सारा जंगल है ख़ौफ़ का आलम
जो हैं गीदड़ वही बताते हैं।

हम सभी वक़्त के निवाले हैं
राहे दुनिया में आते जाते हैं।

मौक़ा ताक़त जुनूनोशौक़ोहवस
लफ़्ज़ सारे हमी बनाते हैं।।
06/07.02.11

4 comments:

  1. हम सभी वक़्त के निवाले हैं
    राहे दुनिया में आते जाते हैं।
    Kya baat kah daali!

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  2. हम नहीं कहते कि डरकर रहिए
    कब किसे आंख हम दिखाते हैं।

    खूबसूरत अशआर.............उम्दा ग़ज़ल

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  3. आदरणीय कुमार ज़ाहिद साहब
    सादर सस्नेहाभिवादन ! आदाब !


    बेहतरीन ग़ज़ल ! तंज़ का अंदाज़ काबिले-ता'रीफ़ है …
    हर शे'र आलातरीन है… आख़िरी शे'र पर दिल आ गया है …
    मौक़ा ताक़त जुनूनो शौक़ो हवस
    लफ़्ज़ सारे हमीं बनाते हैं


    अरे हां,
    तीन दिन पहले प्रणय दिवस भी तो था
    …मंगलकामना का अवसर क्यों चूकें ?
    प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं !

    ♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !♥
    बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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