देर से आए मगर आए तो।
नाज़ से वो गले लगाए तो।
मेरी तबियत भी है फरेबफहम1,
ख़्वाब कोई ज़रा सजाए तो।
हम कहां होशमंद2 रहते हैं,
उनको कोई खबर सुनाए तो।
किसका दर है ये दारीचा3 किसका,
हम कहां हैं कोई बताए तो।
कौन कहता है हम नहीं बदले,
अब कोई आइना दिखाए तो।
ये गली अब भी आशना4 है हुजूर!
कोई हिम्मत से आए जाए तो।
यूं कि अब भी वहीं पै हैं ‘ज़ाहिद’
आके कोई कभी उठाए तो।
09.02.13
1. धोके में जीने वाला, कल्पनाजीवी, 2. होश में, चैतन्य, 3. गलियां, राहदारी, 4. स्नेहिल, चाहनेवाली,
sunder gajal
ReplyDeletewah wah kya baat hai.
ReplyDeletedhanyavad madhupji!
ReplyDeleteswgatat khachar ji!
ReplyDelete